मामी की चूदाई Mami Ki Chudai

गाँव का माहौल बड़ा अलग होता है। गर्मियों की छुट्टियाँ थी और मैं अपने मामा के घर आया था। मामा खेती-बाड़ी में सुबह से शाम तक व्यस्त रहते थे, और घर पर ज़्यादातर मैं और मामी ही रहते।
मामी उम्र में मुझसे सिर्फ़ 8-9 साल बड़ी थी, गोरी-चिट्टी, भरे-भरे बदन वाली। जब भी वो आँगन में बाल सुखाने आती, उनकी साड़ी का पल्लू हवा से सरक जाता, और मैं चुपके से उनकी ओर ताकता रहता।

शाम को जब वो कुएँ से पानी खींचती, उनकी कमर की नज़ाकत और साड़ी की सिलवटें मुझे बेचैन कर देतीं।
एक दिन दोपहर को मामा खेत पर थे और मैं आँगन में खाट पर लेटा था। मामी अंदर से आईं और बोलीं –
“इतनी गर्मी में बाहर क्यों पड़े हो? अंदर चलो, पंखा चला देती हूँ।”

मैं उनके पीछे-पीछे कमरे में गया। कमरे में अंधेरा-सा था, बस एक खिड़की से हल्की रोशनी अंदर आ रही थी। मामी ने पंखा चलाया और पानी का गिलास पकड़ाया।

मैंने गिलास लेते हुए उनके हाथों को हल्का छू लिया। वो झट से पीछे हट गईं और बोलीं –
“शरारत मत किया करो… किसी ने देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी।”

उस रात जब सब सो गए, मैं खाट पर लेटा हुआ करवटें बदल रहा था। नींद नहीं आ रही थी। अचानक मेरी नज़र पड़ी – मामी पास वाले कमरे में हल्की रोशनी में कपड़े बदल रही थीं। उनकी परछाई खिड़की से साफ़ दिख रही थी।

मैं पसीने से भीग गया… दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।
मामी को शायद अहसास हो गया, क्योंकि वो झट से चादर ओढ़कर लेट गईं
अगले दिन सुबह, जब मामी नहा कर आँगन में बाल सुखा रही थीं, उनके गीले बालों की बूंदें मेरे चेहरे पर गिरीं।
मैंने मज़ाक में कहा –
“मामी, आप तो बिल्कुल फिल्म की हीरोइन जैसी लग रही हो।”

वो मुस्कुरा दीं और बोलीं –
“पागल कहीं के…”

पर उस मुस्कान में एक छिपा हुआ इशारा था, जैसे वो भी मेरी नज़रों को पढ़ रही हों। दोपहर का समय था। मामा खेत पर थे और घर सुनसान पड़ा था। मैं चारपाई पर लेटा मोबाइल घुमा रहा था। मामी रसोई में थीं। रसोई से आती पकी सब्ज़ी की खुशबू और उनकी चूड़ियों की छनक मुझे खींच रही थी।

मैंने बहाना बनाया और बोला –
“मामी, मैं भी मदद कर दूँ?”

वो मुस्कुराईं –
“तू क्या मदद करेगा, जा बाहर बैठ, सब बन जाएगा।”

पर मैं ज़िद करके वहीं खड़ा हो गया। जैसे ही मैंने सब्ज़ी की हांड़ी उठाने के लिए हाथ बढ़ाया, मेरा हाथ उनके हाथ से टकरा गया। उनके नरम हाथों की गर्माहट ने मेरे पूरे जिस्म में सनसनी फैला दी।

वो घबराई-सी बोलीं –
“अरे… धीरे, गिर जाएगा।”

पर इस बार उनके चेहरे पर वो पुरानी झिझक नहीं थी।
थोड़ी देर बाद वो पानी का घड़ा भरने आँगन में आईं। मैं भी पीछे-पीछे चला गया।
घड़ा भारी था, तो मैंने कहा –
“मामी, छोड़ो, मैं उठा देता हूँ।”

मैंने घड़ा उनके हाथ से पकड़ा और इस दौरान मेरा हाथ उनके कंधे से छू गया।
मामी ने मेरी तरफ देखा, आँखें मिलीं… और हम दोनों कुछ पल वहीं ठहर गए।

उनकी साँसें तेज़ थीं, और मेरे होंठ खुद-ब-खुद उनके चेहरे के करीब पहुँच गए।
“पागल हो गए हो क्या?” मामी ने धीरे से कहा, लेकिन उनकी आवाज़ में ना से ज़्यादा हाँ छिपा हुआ था।

मैंने झट से उनका हाथ पकड़ लिया।
उनका हाथ काँप रहा था, पर उन्होंने छुड़ाया नहीं।

धीरे-धीरे मैंने उन्हें अपनी ओर खींचा… और पहली बार उनके गाल पर होंठ रख दिए।

वो पलकें झुका कर चुप खड़ी रहीं।

मैंने फिर फुसफुसाकर कहा –
“मामी, मैं आपको बहुत चाहता हूँ…”

मामी ने कोई जवाब नहीं दिया, बस अपना चेहरा मेरी छाती पर टिकाकर धीरे से मुझे पकड़ लिया।
शाम ढल चुकी थी। मामा खेत पर ही रुक गए थे और घर में बस मैं और मामी थे।
रसोई का काम निपटाकर मामी अपने कमरे में चली गईं।
मैं भी बहाने से वहीं पहुँच गया।

कमरे में दीपक की हल्की रोशनी थी और बाहर सिर्फ़ झींगुरों की आवाज़।
मामी चारपाई पर बैठी बाल सुखा रही थीं। उनके गीले बालों से टपकती बूंदें उनके गले तक बह रही थीं।

मैंने धीरे से कहा –
“मामी, आज तो आप बहुत सुंदर लग रही हो…”

वो मुस्कुराईं, पर नज़रें चुराने लगीं।
मैं उनके पास जाकर बैठ गया।
धीरे-धीरे मैंने उनका हाथ पकड़ा और अपने सीने पर रख दिया।
वो काँप गईं, पर हाथ नहीं हटाया।
मैं और नज़दीक गया और उनके होंठों पर अपना होंठ रख दिया।

इस बार मामी ने भी आँखें बंद कर लीं।
हम दोनों का पहला गहरा चुंबन वहीं शुरू हुआ।

उनकी साँसें तेज़ हो रही थीं।
मैंने धीरे-धीरे उन्हें चारपाई पर लिटा दिया।

अब मामी फुसफुसाईं –
“पागल… अगर किसी ने देख लिया तो…?”

मैंने कहा –
“मामा तो खेत पर हैं, और ये पल हमें किसी को नहीं बताना है…”

मामी ने बस अपनी पलकें झुका लीं।

मैंने धीरे-धीरे उनके गले पर, फिर सीने पर होंठ फेरने शुरू किए।
मामी अब पूरी तरह पिघल चुकी थी कमरे में अब सिर्फ़ हमारी साँसों की आवाज़ थी।
मैंने मामी को कसकर अपनी बाहों में भर लिया।

धीरे-धीरे मैंने उनके कपड़े सरकाने शुरू किए।
वो हल्की-सी ना-नुकर करती रहीं, लेकिन मेरे हर स्पर्श पर उनका बदन काँप उठता।

कुछ ही देर में मामी आधी खुली हालत में थीं।
उनका चेहरा शर्म से लाल था और आँखों में पिघलती चाहत।

मैंने झुककर उनके कानों में फुसफुसाया –
“मामी, आज की रात सिर्फ़ हमारी है…”

वो हल्की आवाज़ में बोलीं –
“कर ले… पर धीरे…”

अब मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ उनकी चूत तक पहुँचाया।
मामी ने एक लंबी साँस खींची और अपनी आँखें बंद कर लीं।

उनकी हालत देखकर मेरा दिल और तेज़ धड़कने लगा।
मैंने उनके होंठों को फिर से चूम लिया और अब मै मामी की नाभि को चाटना शुरू कर दिया और धीरे धीरे चूत की तरफ गया मामी की चूत देख कर मेरा तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा मामी की चूत पर बहुत बाल थे मामी ने पूछा किया देख रहा है तेरे मामा तो बस ऊपर ऊपर से करते है महीने मै एक बार इसलिए बाल साफ ही नहीं करती हु मै बोला मुझे ऐसी चूत पसंद हैं बालों वाली फिर मैने मामी की चूत से बाल थोड़े साईड किए और चूत के छेद को चाटना शुरू किया मामी पागल सी हो गईं ओर मेरे सर को पकड़ कर जोर जोर से चूत मै डालने लगी और 10 मिनट तक चूत चाटना रहा धीरे से लैंड बाहर निकाला।

मामी ने डरते हुए अपनी नज़रें मेरी आँखों में डालीं और धीरे से बोलीं –
“इतना बड़ा… धीरे रखना…”

मैंने उन्हें आश्वासन दिया और धीरे-धीरे उनको गोड़ी बनाया ओर चोदता रहा
पहली बार मामी ने हल्की-सी चीख निकाली, फिर होंठ काट लिए।
उनकी साँसें अब तेज़ हो चुकी थीं, और वो हर लम्हे मुझे अपने और पास खींच रही थीं।

उनका पूरा बदन मेरे नीचे सिमटता जा रहा था।
मैंने लय पकड़ ली और धीरे-धीरे रफ़्तार तेज़ की।

मामी अब मेरे गले से लिपट चुकी थीं और बार-बार कह रही थीं –
“बस… और… रोक मत…”

कुछ देर बाद दोनों अपनी-अपनी हदें पार कर चुके थे।
हम दोनों थके-हारे एक-दूसरे के सीने से लगे पड़े रहे। और मेरा सारा पानी उनकी चूत में चला गया
दोस्तो कैसी लगीं मेरी मामी के साथ की कहानी प्लीज़ कमेंट बॉक्स मै जरूर बताए।

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